सरकारी शिक्षा ढांचे में सेहतमंद और रचनात्मक ढांचा सृजन करने के लिए राज्य सरकार वचनबद्ध : मीत हेअर
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सरकारी शिक्षा ढांचे में सेहतमंद और रचनात्मक ढांचा सृजन करने के लिए राज्य सरकार वचनबद्ध : मीत हेअर

सरकारी शिक्षा ढांचे में सेहतमंद और रचनात्मक ढांचा सृजन करने के लिए राज्य सरकार वचनबद्ध : मीत हेअर

सरकारी शिक्षा ढांचे में सेहतमंद और रचनात्मक ढांचा सृजन करने के लिए राज्य सरकार वचनबद्ध : मीत हेअर

शिक्षा सुधारों के लिए अध्यापक ही प्रमुख माध्यम

शिक्षा मंत्री द्वारा अध्यापक जत्थेबंदियों के साथ की मीटिंगें

चंडीगढ़, 20 अप्रैलः
    पंजाब के शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेअर द्वारा आज राज्य की अलग-अलग अध्यापक जत्थेबंदियों के साथ मीटिंगें की गई।
    मीटिंग के दौरान शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र आम आदमी पार्टी की सरकार की मुख्य प्राथमिता है और राज्य के बच्चों को सरकारी स्कूलों में मानक शिक्षा मुहैया करवाने के लिए रचनात्मक और सेहतमंद माहौल सृजन करने के लिए सरकार वचनबद्ध है। उन्होंने अलग-अलग यूनियनों की तरफ से उठाए गए मामलों पर हमदर्दी से विचार करते हुए ज्यादातर माँगों को मौके पर ही तुरंत सही ठहराया और इसके इलावा अन्य भी जायज़ और संभव माँगों को मानने का विश्वास दिलाया।
    श्री मीत हेअर ने कहा कि स्कूल शिक्षा में सुधार अध्यापकों के ज़रिये ही हो सकता है और इसलिए वह अध्यापकों की समस्याओं को पहल के आधार पर हल करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ईमानदारी से इस क्षेत्र में काम करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार की भ्रष्टाचार के खि़लाफ़ ज़ीरो टॉलरैंस है। उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में काम करने के लिए वह ज़मीनी स्तर पर फीडबैक लेकर काम करेंगे। शिक्षा मंत्री ने अध्यापकों की ऑनलाइन तबादला नीति को पूर्ण तौर पर लागू करने समेत अन्य भी सुधारों के लिए अध्यापक जत्थेबंदियों से सहयोग माँगा। उन्होंने कहा कि अध्यापक संघर्ष के दौरान भेदभाव का शिकार हुए अध्यापकों के मामलों को रिविऊ करके इंसाफ़ दिलाया जायेगा। वित्त विभाग से सम्बन्धित माँगों को सम्बन्धित विभाग के साथ विचारा जायेगा।
    मीटिंग के दौरान अध्यापक जत्थेबंदियों की तरफ से उठाए गए मामलों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 को लागूकरण पर रोक लगाना, पिछले समय में अध्यापकों के साथ हुये भेदभाव के मामलों को रिविऊ करके अध्यापकों को इंसाफ़ देना, स्कूलों के खाली पद भरना, चल रही नयी भर्ती को मुकम्मल करना, ख़त्म किये पद बहाल करना, अलग-अलग काडर की पदोन्नतियां समयबद्ध की जाएँ, पदोन्नतियों के लिए कोटे की प्रतिशत दर पहले की तरह करनी, दफ़्तरों में तैनात अध्यापकों को वापिस मूल/पित्ररी स्कूलों में भेजना, अध्यापकों से ग़ैर शैक्षिक काम लेने बंद करने, बी.पी.ई.ओज़ दफ़्तरों में शिफ्ट किये पी.टी.आईज़ वापस मिडल स्कूलों में भेजे जाएँ, आदर्श स्कूलों (पी.पी.पी. मोड) के प्रबंधों को सही राह पर लाया जाये, पिछले समय में कोविड ग्रसित अध्यापकों की काटी गई कमाई या मैडीकल छुट्टी को क्वारंटिन छुट्टी में तबदील किया जाये, अलग-अलग छुट्टियों की मंजूरी देने के अधिकारों का विकेंद्रीकरण किया जाये आदि शामिल थे। इसके इलावा वित्त और परसोनल विभाग से सम्बन्धित मामले और वेतन आयोग की कमियों के मुद्दे उठाए गए।
    मीटिंग में 18 अध्यापक जत्थेबंदियों आधारित सांझा अध्यापक मोर्चा की तरफ से सुखविन्दर सिंह चाहल, विक्रम देव सिंह, बाज सिंह खैहरा, हरजीत सिंह बसोता, हरविन्दर सिंह बिलगा शामिल हुए। शिक्षा मंत्री ने इसके इलावा अलग-अलग काडरों से सम्बन्धित यूनियनों के नेताओं के साथ भी मीटिंगें की।